Friday, July 28, 2017

अखण्ड भारत पञ्चकम्

हिमालय समरम्भाम् विन्ध्य परवथ मध्यमां
द्रविड लङ्काधि संयुक्तां वन्दे अखण्ड भारतं

मकुटे हिमोत्पर्वतं  च पादुकां द्रविड दिव्य  देशं
मध्ये विन्ध्य पर्वथं च प्रणतोस्मि भारत मातृकां

अभय वरद हस्थे खड्ग ध्वज धारिणीं
काषाय वर्ण शोबिते अम्ब वन्दे भारत मातृकां

कोटि सूर्य प्रकाशिनीं अम्ब नानाभरण भूषिथे
पद्म करे पधम मुखे देवी वन्दे भारत मातृके

साधु ऋषि मुनि पूजिते देवी सर्व विद्या स्वरूपिणी
ब्रह्म विध्या स्वरूपिण्यै वन्दे भरथ मातरं

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